Tuesday, March 10, 2009

होली का आया त्यौहार

होली और फाग हरियाणा के मस्ती वाले त्यौहार है फाग वाले दिन हर किसी में मस्ती और आन्नद की लहरिया उठती है .................
" काच्ची इमली गदराई सामण मै
बूढी लुगाई मस्ताई सामण मै
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जब साजन ऐ परदेश गए ,मस्ताना फागण क्यू आया
जब सारा फागण बीत गया ,त गर मै साजन क्यू आया
छम छम नाचे सब नरनारी , मै क्यू बेठी दुखा की मारी
मेरे मन मै जब मचा अंधेर ,ते चाँद का चाँदन क्यू आया
इब पिया आया ,जी खिलया ना ,जब जी आया पिया मिला ना
साजन बिन जोबन क्यू आया ,जोबन बिन साजन क्यू आया
मन ते अर्थी बंधी पड्यइ स ,आख्या मै लगी हाय झडी स
जब मेरे मन का फल सुख्याँ, लज्मराया फागन क्यू आया
(हरियाणा का फाग का लोक गीत )

हरियाणा का सूफी एवं उर्दू साहित्य .....(भाग ६ )

हरियाणा के सूफी साहित्यकारों में शेख सरफुदीन 'पानीपती 'का अपना एक अलग स्थान
है यह हजरत शेख बू अली कलंदर के लकब से प्रसिद्ध थे शेख जी के पूर्वज फारस से आकर पानीपत में बसे थे इनके घराने की भाषा फारसी थी शेख जी फारसी के साथ -साथ हिन्दी में भी कविताये करते थे अहेख जी सूफी विचारधारा की चिस्ती परम्परा के
कलंदरी शाखा के मुखिया थे इनके अनेक दोहे प्रसिद्ध है दिल्ली के बाह्द्शा गयाशुदीन तुग़लक को इन पर बहुत श्रधा थी
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सजन सकोरे जायंगे नेन मरेंगे रोई
विधना ऐसी रेन कर भोर कबहूँ न होई
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मन शुनिदम यारे मन फर्दा खद राहे शताब
या इलाही ता कयामत बा न्यायद आफ़ताब
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एक प्रसिद्ध दोहा .........
पो फटतहीं सखी सुनत हो पिय परदेसही गोन
पिय मै हिय मै होड़ है पहले फटी है कोन
शेख सरफुदीन जी का जन्म १२६३ vi० को बताया है