पानीपत के मोलाना वहीदुद्दीन 'सलीम 'उर्दू के प्रसिद्ध कवि आलोचक ,पत्रकार एवं भाषा शास्त्री रहे है उनका जन्म १८६७ ई ० में हुआ इनके पिता बू अली कलंदर के मुजाविर थे इन्होने 'अलीगढ गजट ' लखनुव से लखनुव गजट और लाहोर से 'जमींदार 'पत्र का सम्पादन किया १९२८ को मोलाना 'सलीम ' का देहांत हुआ
पंडित बिशम्बर दास 'गरमा' ने अपने काव्य एवं नाटको द्वारा उर्दू साहित्य की सेवा की है इनका जन्म १८७१ में पानीपत में हुआ 'गरमा 'जी की कुल परम्परा साहित्यकारों की रही है इनके दादा पंडित मुरलीधर 'ख्याल 'हिन्दी में दोहे करते थे तथा इनके पिता पंडित गनपत सिंह हिन्दी में कविता करते थे पंडित 'गरमा' ख्वाजा जफ़र हसन के शिष्य थे इनके शेरो में सूफियाना अंदाज होता था
तू मेहर है गर तो नूर हूँ मै
तू फूल है तो उसकी खुशबु मै
गर तू है जबां तो मै हू बयाँ
तू गेर नही मै गेर नही
जनाब शगर चंदर साहिब रोशन पानीपत एक उम्दा साहित्यकार थे जिन्होंने उर्दू की उल्लेखनीय सेवा की कवि सम्मेलनों में तो मानों 'रोशन ' साहिब का एक छत्र राज रहा
है आपका जन्म ११ मार्च १८९६ और देहांत ५ नवम्बर १९५८ को हुआ उनके काव्य संग्रह के
मुख्य प्रष्ट पर एक शेर छपा था ॥
फना के बाद भी दुनिया न भूलेगी तुझे 'रोशन '
तेरा जिक्र जन्नुन होता रहेगा कु -बे-कु बरसों ॥
Saturday, February 28, 2009
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हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteएक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
narayan narayan
ReplyDeleteब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है।
ReplyDeleteशुभकामनाएं।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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